तेरा हंसना और मुस्कुराना

 तेरा हंसना और मुस्कुराना 

मुझे बेचैन कर देता है 

मैं सोच में पड  जाता हूँ 

अब ये क्या नया खेल है 

गले मिलते हो जो तपाक से 

दिमाग मेरा मुझे चेताता है 

आने वाले है एक तूफ़ान 

उससे रूबरू कराता है 

दिल कभी-कभी कहता है 

हर बार ऐसा नहीं होता है 

फिर से कोई साजिश  रच 

तुम उसे शर्मिंदा कर देते हो 

अब दिल चुप रहने लगा है 

दिमाग ज्यादा चलने लगा है 

डर है मुझे इस बात का 

एक दिन मैं तुम सा न बन जाऊँ 

उस राह पर कहीं न आगे बढ़ जाऊँ 

तुम्हें हरा तो दूँ मैं कभी भी 

डर बस इतना है, कहीं तुमसा न बन जाऊँ। 

हो गया कभी ऐसा तो क्या मुहं दिखाऊंगा 

गर दुखा दूँ दिल किसी नादान का 

तो जीते जी ही मर जाऊंगा 

तुम रखों अपनी चालाकियाँ कुछ दिन अपने पास 

और रखने  दो मुझे अभी ये बचपन अपने साथ। 


शुभम चमोला 


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