आज हम इस पूरे ब्रह्मांड की सबसे विकसित प्रजातियों में गिने जाते हैं,इस हिसाब से अगर हम कहें तो आज हम सबसे शक्तिशाली ,बलशाली तो हैं लेकिन हम कहीं न कहीं डरे हुए हैं, कोई मुस्कुराते हुए देख रहा हो तो हम ये सोचने लगते हैं कि इसके पीछे उसका उद्देश्य क्या होगा? आज आप अजनबियों से तो छोड़िये अपनो से बाते करने में डरने लगते हैं, अगर कोई बहुत ही प्यार ,अच्छे ढंग से बात करे तो हमें आभास होने लगता है कि अब इन शब्दों के मायाजाल में कोई अंतर्निहित भाव छुपा होगा जो कि अवश्य ही हानिकारक साबित हो सकता है, आज हम किसी जंगली जानवर से नहीं डरते बल्कि इंसान ही इंसान से सबसे ज्यादा डरता है, जो दिखाता है कि तरक्की करना ही मात्र उद्देश्य नहीं होना चाहिए बल्कि वो विकास इस प्रकार से होना चाहिए कि हमारी नैतिकता का भी विकास हो, पर असलियत तो यह है कि हम भूले भटके वो मुसाफिर हैं जो रास्ते पर तो निकल पड़ते हैं पर मंजिल कौनसी हो कैसी हो इसका इतना कुछ पता नहीं, मतलब ये कि धन अर्जित करना इस पीढ़ी का उद्देश्य बन गया है, और उसके रास्ते असीमित हैं पर उन रास्तों में से कुछ ही रास्ते ऐसे हैं जिनमे आप चलते हुए उस खुशी का एहसास कर सकते हैं जो कि आपको होनी चाहिए,मुझे ज्यादा अनुभव तो नहीं है पर मेरा मानना है कि एहसास ही इस दुनिया में एक ऐसी चीज है जो आपको एक जीवंत अनुभव कराता है।उसमे सुख, दुख , सारे एहसास सम्मिलित हैं,पर आज हम उन्हीं एहसासों को जीवन से बाहर फेंक देना चाहते हैं,आज पुरानी बातें हँसी का पात्र बन जाती हैं। पुराने वक्त में से अगर कुछ भटकी हुई चीजों को निकाल दें तो वो वक्त वैज्ञानिक दृष्टि से तो काफी पिछड़ा था पर खुशी की दृष्टि से काफी आगे, आज हर कोई पल भर की खुशी से खुश है और उसके पीछे भागता है, किसी को कोई मतलब नहीं कि किसी चीज का परिणाम क्या होगा,बात है बस उस पल की,अंत में बात ये आती है कि प्रकृति के नियमों से आप नहीं जीत सकते, ये प्रकृति ही परमेश्वर है, यही सबकुछ है, आप हर किसी के साथ छल कर सकते हैं,पर प्रकृति के साथ नहीं, क्योंकि इन नियमों में कोई भेदभाव नहीं है, ये सबके लिए समान हैं....
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