बात कुछ यूं है कि दुनिया काफी आगे बढ़ चुकी है और माना ये गया है कि वक्त के साथ आगे बढ़ना चाहिए , दिलों के रिश्ते, बातें और वो पुरानी बातें जो आज दकियानूसी हो चुकी हैं काफी पीछे छूट चुकी हैं, आज जब तक आप किसी के आस पास हो तब तक ही उसके साथ हो, पहले के ज़माने में तारों का सम्बन्ध होता था, हर चीज में तार था, जैसे दो लोग अगर एक फ़ोन से गाने सुन रहे होते थे तो पास पास बैठना होता था क्योंकि हेडफोन में तार था और वो उन दोनों को भी जोड़े रखता था ।आज वायरलेस जमाना है, कोई तार नहीं है, रेंज भी कम है, कुछ दूर जाते ही सम्बन्ध टूट जाता है, और रूठने मनाने वाली वो बातें अब विलुप्त हो चुकी हैं, एक बात है जो कुछ अजीब सी भी है और कुछ ठीक भी है, पीठ पीछे चाहे कितनी गलियां दे पर सामने आकर इतना मुस्कुरा कर बात कर के चला जाता है कि कुछ देर तक तो आँखों से रोशनी नहीं हटती, दिल बाग़ बाग़ हो जाता है। सभी के दिलों को ये समझ आ गया है कि इसका काम रक्त संचार है,दिल लगाना और ये सभी फिजूल की बातें हैं ।
संवेदना और एहसास कुछ शब्द लिख कर पूरे कर दिए जाते हैं जैसे किसी के जन्मदिन पर hbd और मृत्यु पर rip लिखकर औपचारिकता पूरी कर दी जाती है है। कोशिश है कि एहसासों को कम से कम जगह दी जाये, और लोगों को लगता है कि एहसासों से अगर दूर चला जाये तो ज्यादा खुश रहेंगे, मैं हमेशा से इन सभी मामलों में पुरानी विचारधारों से सहमत रहा हूँ इसलिए शब्दों में निवेश करता हूँ।
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