आज कल हर कोई एक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करता है, जी जान लगा देता है,और अनेको बार हताश होता है,फिर किसी दोस्त या किसी अन्य से सलाह लेता है तो हर कोई अपने अनुसार आपका मार्ग प्रशश्त करते हैं।कही बार आप प्रेरणादायी वीडियो देखते हैं और खूब ऊर्जावान हो जाते हैं,2,4 दिन तक एक नियमित दिनचर्या बना देते हैं,जैसा कहा जाए वैसा ही करते हैं पर फिर कुछ दिन बाद स्तिथि सामान्य हो जाती है, फिर दिमाग आपके साथ खेल खेलना शुरू करता है,आप एक विषय पढ़ रहे होते हो तो ये आता है कि दूसरा तो पढ़ा ही नहीं, फिर उसको बन्द कर दूसरा खोलते हैं, फिर लगता है कि ये तो बहुत ज्यादा है,फिर से एक तनाव मन मे उपजना शुरू करता है और इसके कारण कुछ भी नहीं हो पाता। और निराशा जब भी उपजना शुरू करती है तो आपको जकड़ लेती है, आपका किया हुआ हर एक काम गलत से होने लगता है, खाना बना रहे हो तो नामक ज्यादा डालने लगोगे, बस का इंतजार कर रहे हो तो बस देर से आएगी और आएगी तो सीट नहीं मिलेगी और ये सभी घटनाएं आपको अवसादग्रसित बना देती हैं , आपको लगता है कि हर एक गलत चीज आपके साथ ही हो रही है,जबकि वो सब प्राकृतिक घटनाएं हैं अनेकों बार होती आयी हैं पर कभी आपने ध्यान नहीं दिया ।इस वक़्त पर आपको सबसे ज्यादा आपकी खुद की जरूरत होती है, आप किस तरह से जीवन की नकारात्मकता से बच सकते हैं।आप दोस्तों से संवाद करें, कभी कभी घूम लें या जो भी आपको पसंद हो वो काम करें , बस एक ऊर्जा बनाएँ रखें। और ये न सोचें कि दूसरा व्यक्ति हमारे बारे में क्या सोचेगा, वो मायने नहीं रखता क्योंकि वो आपके साथ जीवन भर नहीं रहेगा , आप क्या सोचते हो ये मायने रखता है । हर किसी की सीखने , समझने की छमता दूसरों से भिन्न होती है,आप मछली को कह - कह कर पेड़ पर नहीं भेज सकते या किसी पक्षी को तैरना नहीं सिखा सकते,आप के अंतर्मन को पता होता है कि आपको क्या करना चाहिए, कैसे करना चाहिए, बस आपको चाहिए कि आप अपना चित्त शांत करें, किसी के बहकावे में आकर अपने जीवन के रास्ते न बदलें, एक साइंटिस्ट जो अनेकों खोज करता है, उसका अगर फ़ोन खराब हो जाये तो वो खुद उसे ठीक नहीं करता बल्कि उसे एक कम पढा लिखा व्यक्ति ठीक करता है, पर इससे साइंटिस्ट की छमता पर सवाल नहीं उठ जाते। आप दूसरों को सफल होता देखें तो ये न सोचें कि मुझे इतना वक़्त क्यों लग रहा है,क्या मेरी किस्मत खराब है,हर एक घटना को घटित होने में वक़्त लगता है,अगर आपको एक पहाड़ी पर चढ़ना हो तो आप अनेकों रास्ते ले सकते हैं, पैदल जा सकते हैं, किसी की सवारी कर सकते हैं पर जो महत्वपूर्ण चीज है वो है यात्रा के बीच का समय, आपकी मेहनत तय करती है कि आपकी यात्रा के बीच का समय कैसा था , अगर आप पैदल चल रहे हो तो हो सकता है कि आप उन लोगों को देखकर निराश हो जाएं जो वाहन में हैं और आपको कही गुना ज्यादा वक्त लगे, पर इस यात्रा के दौरान हो सकता है कि आपका सफर आपको अनेकों अनुभव कराये जो आपके आगे के जीवन को सफल बना सकें,जो व्यक्ति वाहन से गया हो ,वो अपने लक्ष्य को पूरा समझ कर आराम से सो गया हो , पर आप जब अपने लक्ष्य पर पहुँचेंगे तो अपने अंदर एक विचित्र ऊर्जा का संचार होते हुए पाएंगे, आपके अंदर एक नए लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयाप्त अनुभव और ऊर्जा होगी, इसी का नाम जिंदगी है, बस आपको समझना होगा कि आपके अंदर वो छमता है ।वैसे भी एक प्यासे को पानी मिलने के बाद का आनँद अद्भुत होता है।
Waow!!...
ReplyDeleteNicely potrayed...
👍 Keep it up!!..
more power to you .✌️✌️
Thanks a lot naina
DeleteWowww shubham sir (Bhai)apne bilkul vhi batein likhi Jo generally ho rahi hai ...n congratulations to u 😊😊
ReplyDeleteThanks 😊 i hope it will help others .
Deleteबेहतरीन👌👌....
ReplyDeleteधन्यवाद
DeleteZindagi 👏👏
ReplyDelete😊😊
Deleteबहुत सुंदर लेखन शुभम 👌
ReplyDeleteयह लेख वास्तव में लोगों के लिऐ मददगार साबित होगा....... keep it up ! !
बहुत बहुत धन्यवाद्
DeleteNicely explained 😀
ReplyDeleteThanks alot.
Delete👏👏👏
ReplyDeleteThanks Ritu.
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