तकनीक और इंसान

जितना तकनीक आज हमें पास ले आई है
उतना ही आज हम एक दूसरे से दूर हो गए हैं
पहले चिठ्ठियों का इंतजार होता था
तो दिल एक दूसरे के आस पास होता था
यकीं मानिये अल्फाज सबकुछ बयाँ कर देते थे
अल्फाजों में दुःख, दर्द, खुशी बयाँ होती थी
तो एक अहसास पास होता था।
आज आंखों में आँखें डालकर बात होती है
फिर भी छोड़कर न चला जाए ये आस रहती है।
सालों तक किसी का इंतजार होता था
आज नजर हटने तक का इंतजार है।

आज वासना से इंसान ग्रस्त है
इसी कारण काफी व्यस्त है ।
दिमाग काफी विकसित होने लगा है
तो दिल सिकुड़ने लगा है
दिल को अपना काम समझा दिया गया है
बस अब शरीर में रक्त पहुंचाता है
इसलिए सारे फैसले दिमाग करता है
नफा -नुकसान का ध्यान रखता है
दिल होता तो अक्सर घाटे में रहता
एहसासों को समेटता।

आज हर कोई मुस्कुराता है
खंजर हाथ में लिए
गले लगाता है ।
हर कोई भाग रहा है
एक बेहतर कल की तलाश में
तब्दील हो चुका है चलती फिरती लाश में।।

शुभम

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