आँखों का समंदर- शुभम चमोला

चुप रहना और आँखों से बातें करना,
एक अलग ही मायने हैं इसके भी ,,,,

आप दिन भर कितनी ही बातें क्यों न कर लो
पर आँखों से आँखों में हुई बातों की बात ही कुछ अलग होती है

एक दिलकश नजारा होता है जब कोई आँखों ही आँखों में बातें करता है

लगता है मानो सब कुछ थम सा गया हो और दोनों का दिल एक साथ धड़क रहा हो ,

मानो किसी ने एक कनेक्शन सा दोनों दिलों में मिला दिया हो

चुपचाप रहकर इतनी बातें होती हैं ,ये एहसास दुनिया से ही अलग होता है

पहली बात तो ये की आँखें कभी झूट नही बोलती और ये एक एहसासों से भरा एक अगाध समंदर होता है
जहा झूठ, जैसी भावनाओं के लिए बिलकुल भी जगह नही होती ।

उस समंदर में जाने के लिए बातों की जरूरत नही होती बल्कि एहसास मायने रखते हैं

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