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न बैठ चुपके मुसाफिर ,उठ चल और देख दुनिया में कितने रंग हैं

इस गुमनाम भीड़ मे हर शक्स गुमनाम होता चल गया,

फितरत ए इंसान ने कितना कुछ बदल डाला

वो शख़्स जिसे मनाने में जमाने लगे ।